रोज की तरह उस दिन भी सुबह होती है, लेकिन वह ऐसी सुबह थी जो सदियों तक लोगों के जेहन में रहेगी । दिसंबर का वह दिंन तारीख 19 , फांसी दी जानी थी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को । बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी जानी थी । रोज की तरह बिस्मिल ने सुबह उठकर नित्यकर्म किया और फांसी की प्रतीक्षा में बैठ गए । निरन्तर परमात्मा के मुख्य नाम ओम् का उच्चारण करते रहे । उनका चेहरा शान्त और तनाव रहित था । ईश्वर स्तुति उपासना मंन्त्र ओम् विश्वानि देवः सवितुर्दुरुतानि परासुव यद्रं भद्रं तन्न आसुव का उच्चारण किया । बिस्मिल बहुत हौसले के इंसान थे । वे एक अच्छे शायर और कवि थे ,जेल में भी दोनों समय संध्या हवन और व्यायाम करते थे । महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती को अपना आदर्श मानते थे । संघर्ष की राह चले तो उन्होंने दयानन्द जी के अमर ग्रन्थों और उनकी जीवनी से प्रेरणा ग्रहण की थी । 18 दिसंबर को उनकी मां से जेल में भेट हुई । वे बहुत हिम्मत वाली महिला थी । मां से मिलते ही बिस्मिल की आखों मे अश्रु बहने लगे थे । तब मां ने कहा कहा था कि " हरीशचन्द्र, दधीचि आदि की तरह वीरता से धर्म और देश के लिए जान दो, चिन्ता करने और पछताने की जरुरत नही है । बिस्मिल हंस पड़े और बोले हम जिंदगी से रुठ के बैठे हैं" मां मुझे क्या चिंतन हो सकती, और कैसा पछतावा, मैंने कोई पाप नहीं किया । मैं मौत से नहीं डरता लेकिन मां ! आग के पास रखा घी पिघल ही जाता है । तेरा मेरा संबंध कुछ ऐसा ही है कि पास आते ही मेरी आंखो में आंसू निकल पड़े नहीं तो मैं बहुत खुश हूँ ।
अब जिंदगी से हमको मनाया न जायेगा। यारों है अब भी वक्त हमें देखभाल लो, फिर कुछ पता हमारा लगाया न जाएगा । बह्मचारी रामप्रसाद बिस्मिल के पूर्वज ग्वालियर के निवासी थे । इनके पिता श्री मुरली धर कौटुम्बिक कलह से तंग आकर ग्वालियर छोड़ दिया और शाहजहाँपुर आकर बस गये थे । परिवार बचपन से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा था । बहुत प्रयास के उपरान्त ही परिवार का भरण पोषण हो पाता था । बड़े कठिनाई से परिवार आधे पेट भोजन कर पाता था । परिवार के सदस्य भूख के कारण पेट में घोटूं देकर सोने को विवश थे । उनकी दादी जी एक आदर्श महिला थी , उनके परिश्रम से परिवार में अच्छे दिंन आने लगे । आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और पिता म्यूनिसपिल्टी में काम पर लग गए जिन्हे १५ रुपए मासिक वेतन मिलता था और शाहजहाँपुर में इस परिवार ने अपना एक छोटा सा मकान भी बना लिया । ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष ११ (निर्जला एकादशी) सम्वत १९५४ विक्रमी तद्ननुसार ११ जून वर्ष १८९७ में रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ । बाल्यकाल में बीमारी का लंबा दौर भी रहा । पूजारियों के संगत में आने से इन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया । नियमित व्यायाम से देह सुगठित हो गई और चेहरे के रंग में निखार भी आने लगा । वे तख्त पर सोते और प्रायः चार बजे उठकर नियमित संध्या भजन और व्यायाम करते थे । केवल उबालकर साग, दाल, दलिया लेते । मिर्च खटाई को स्पर्श तक नहीं करते । नमक खाना छोड़ दिया था । उनके स्वास्थ्य को लोग आश्चर्य से देखने लगे थे । वे कट्टर आर्य समाजी थे, जबकि उनके पिता इसके विरोधी थे जिसके चलते इन्हे घर छोड़ना पड़ा । वे दृढ़ सत्यवता थे । उनकी माता उनके धार्मिक कार्यों में और शिक्षा मे बहुत मदद करती थी । उस युग के क्रान्तिकारी गैंदालाल दीक्षित के सम्पर्क में आकर भारत में चल रहे असहयोग आन्दोलन के दौरान रामप्रसाद बिस्मिल क्रान्ति का पर्याय बन गये थे । उन्होंने बहुत बड़ा क्रान्तिकारी दल (ऐच आर ए) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेसन के नाम से तैयार किया और पूरी तरह से क्रान्ति की लपटों के बीच ठ गए । अमरीका को स्वाधीनता कैसे मिली नामक पुस्तक का उन्होनें प्रकाशन किया बाद मे ब्रिटिश सरकार नेजब्त कर लिया । बिस्मिल को दल चलाने लिए धन का अभाव हर समय खटकता था । धन के लिए उन्होंने सरकारी खजाना लूटने का विचार बनाया । बिस्मिल ने सहारनपुर से चलकर लखनऊ जाने वाली रेलगाड़ी नम्बर ८ डाऊन पैसेंन्जर में जा रहे सरकारी खजाने को लूटने की कार्ययोजना तैयार की । इसका नेतृत्व मौके पर स्वयं मौजूद रहकर रामप्रसाद बिस्मिल जी ने किया था । उनके साथ क्रान्तिकारीयों में पण्डित चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां , राजेन्द्र लाहिड़ी, मन्मनाथ गुप्त , शचीन्द्रनाथ बख्शी, केशव चक्रवर्ती, मुरारी लाल, बनवारी लाल और मुकुन्दीलाल इत्यादि थे । काकोरी ट्रेन डकैती की घटना की सफलता ने जहां अंग्रजों की नींद उड़ा दी वहीं दूसरी ओर क्रान्तिकारियों का इस सफलता से उत्साह बढ़ा । इसके बाद इनकी धर पकड़ की जाने लगी । विस्मिल, ठा़ रोशन सिंह , राजेन्द्र लाहिड़ी, मन्मनाथ गुप्त, गोविन्द चरणकार, राजकुमार सिन्हा आदि गिरफ्तार किए गए । सी. आई. डी की चार्जशीट के बाद स्पेशल जज लखनऊ की अदालत में काकोरी केस चला । भारी जनसमुदाय अभियोग वाले दिन आता था । विवश होकर लखनऊ के बहुत बड़े सिनेमा हाल 'रिंक थिएटर को सुनवाई के लिए चुना गया । विस्मिल अशफाक , ठा़ रोशन सिंह व राजेन्द्र लाहिड़ी को मृयुदंड तथा शेष को कालापानी की सजा दी गई । फाँसी की तारीख १९ दिसंबर १९२७ को तय की गई । फाँसी के फन्दे की ओर चलते हुए बड़े जोर से बिस्मिल जी ने वन्दे मातरम का उदघोष किया । राम प्रसाद बिस्मिल फाँसी पर झूलकर अपना तन मन भारत माता के चरणों में अर्पित कर गए । प्रातः ७ बजे उनकी लाश गोरखपुर जेल अधिकारियों ने परिवार वालो को दे दी । लगभग ११ बजे इस महान देशभक्त का अन्तिम संस्कार पूर्ण वैदिक रीति से किया गया । स्वदेश प्रेम से ओत प्रोत उनकी माता ने कहा " मैं अपने पुत्र की इस मृत्यु से प्रसन्न हूँ दुखी नहीं हूँ ।" उस दिन बिस्मिल की ये पंक्तियां वहाँ मौजूद हजारो युवकों-छात्रों के ह्रदय में गूंज रही थी---------- यदि देशहित मरना पड़े हजारो बार भी , तो भी मैं इस कष्ट को निजध्यान में लाऊं कभी । हे ईश ! भारतवर्ष मे शत बार मेरा जन्म हो कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो
इस महान वीर सपूत को शत्-शत् नमन ।
पुस्तक आभार-- युग के देवता
जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन
रविवार, 19 दिसंबर 2010
सोमवार, 16 अगस्त 2010
ब्लागवाणी की वापसी की जॉच रिपोर्ट पूरी
जूनियर ब्लागर एसोशिएशन ने 1 माह पूर्व यह घोषणा की थी कि वह ब्लागवाणी को लाने के लिये कटिबद्ध है। इसके लिये प्रमेन्द्र प्रताप सिंह और निशान्त त्रिपाठी की दो सदस्यीय कमेटी बनायी गई जो ब्लागवाणी के गायब होने के कारणो के जॉच करने और उनकी वापसी की सम्भावनाओ को तलाश करेगे। इसी प्रयोजनार्थ 17 और 21 को जुलाई को प्रमेन्द्र प्रताप सिंह ने दिल्ली मे रहे किन्तु ब्लागवाणी के संरक्षक को पौत्र रत्न की प्राप्ति हुआ और इस कारण हेतु पूरा परिवार मुम्बई मे होने कारण मुलाकात न हो पायी। जूनियर ब्लागर एसोशिएशन ब्लागवाणी परिवार मे नये सदस्य के आगमन की बहुत बहुत बधाई देता और पौत्र के उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
जूनियर ब्लागर एसोसिएशन ने अपनी इस मुहीम मे ब्लागरों को भी शामिल करने की योजना बनायी इसी कड़ी मे 08 अगस्त से 11 अगस्त के बीच मे प्रमुख ब्लागरों की व्यक्तिगत राय जानने का प्रयास किया गया, आखिर वह क्या सोचते है ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे और क्यो वापसी होनी चाहिये ब्लागवाणी की? हम15 अगस्त तक सभी के ईमेल की प्रतीक्षा कर रहे थे। हमारे पास एड्रेस बुक मे जितने भी ब्लागरों के इमेल उपलब्ध थे और हमे लगा कि इनसे सम्पर्क करना उचित होगा, उनमे से करीब 100 से ज्यादा सक्रिय ब्लागरो से व्यक्तिगत तौर पर उनके नाम का सम्बोधन करते हुये सम्पर्क किया ताकि वह अपनी राय दे सकें। हमारे द्वारा किसी प्रकार की बल्क ईमेलिंग नही की गई ताकि जिससे समझा जाये कि हम सिर्फ खाना पूर्ति कर रहे है। हमे हार्दिक खुशी है कि 100 से ज्यादा ब्लागरों से व्यक्तिगत सम्पर्क के बाद भी सिर्फ ढेड़ दर्जन से कुछ ज्यादा ब्लागर ही अपनी राय भेज सके और अत्यंत खेद भी है कि हिन्दी उत्थान के नाम पर चिट्ठाकारी करने वाले चिट्ठाकारो ने अपनी कोई जिम्मेदारी नही समझी। हम कोई गुट नही है हम आप से ही है अगर आपका सहयोग हमे मिलता तो हम पूरे उत्साह के साथ काम करने का बल मिलता किन्तु र्दुभाग्य की हमे गुट समझ कर हमे इग्नोर करने का प्रयास किया गया किन्तु इससे हम न कमजोर हुये है न होगे।
सर्वप्रथम जिन ब्लागरों के बल पर हिन्दी चिट्ठाकरी लेखक और पाठक के रूप टिकी हुई है जिन्होने अपने ईमेल से अपनी राय अवगत कराया है उनके नामो की घोषणा करते है और इनको कोटि कोटि धन्यवाद देते है। जिन्होने हमे पूर्ण सहयोग दिया - अविनाश वाचस्पति जी, अरविन्द मिश्र जी, संजीव वर्मा सलिल जी, दिवाकर मणि जी, जी.के. अवधियाजी, गिरीश बिल्लोरे जी, शेखर कुमावत जी, (डॉ.) कविता वाचक्नवी जी, रेखा श्रीवास्तव जी, मनोज जी,संगीता पुरी जी, सुमन मीत जी, वंदना गुप्ता जी, रंजना सिंह जी आदि ने अपने विचार हमे भेजे जिससे हमे बल मिला।
ब्लागवाणी की वापसी के लिये बनायी गई कमेटी के सदस्य अपने व्यक्तिगत कामो के बीच इस काम को कर रहे थे इसी मे प्रमेन्द्र प्रताप सिंह अपने अधिवक्ता पंजीयन की तैयारी मे थे और उन्होने 25 जुलाई को अपने को अधिवक्ता के रूप मे पंजीयन करवा लिया, तथा कमेटी के दूसरे सदस्य निशान्त त्रिपाठी ''नीशू'' अपने समाचार पत्र के मैनेजमेट के कार्यशैली के अजीज़ आकर अपने 5 सहयोगी के साथ 12/13 अगस्त को त्यागपत्र दे दिया, इस्तीफा देने वाले मे प्रमुख ब्लागर मिथलेश दूबे भी शामिल है। अन्याय की लडाई मे जूनियर ब्लागर एसोशिएशन इन दोनो ब्लागरो के साथ है, जूनियर ब्लागर एसोशिएशन का मूल मंत्र है ही कि न अन्याय करेगे न सहेगे चाहे वह चिट्ठकारी या पत्रकारिता ही क्यो न हो। इन दोनो कामो के कारण इस काम मे विलम्ब जरूर हो रहा है किन्तु हमारा काम रूका नही है। ब्लागवाणी परिवार के मुखिया से हमारी टेलिफोनिक बातें हुई और हमे आश्वासन भी मिला कि हम इस सम्बन्ध मे शीघ्र ही कोई निर्णय लेगे।
जूनियर ब्लागर एसोशिएशन की यह कमेन्टी दिनाँक 22 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की कोशिश करेगे,कारणो की भी बातो को रखा जायेगा तथा जिन ब्लागरों ने अपने विचार प्रस्तुत किये है उन्हे भी शामिल किया जाये।
जूनियर ब्लागर एसोसिएशन ने अपनी इस मुहीम मे ब्लागरों को भी शामिल करने की योजना बनायी इसी कड़ी मे 08 अगस्त से 11 अगस्त के बीच मे प्रमुख ब्लागरों की व्यक्तिगत राय जानने का प्रयास किया गया, आखिर वह क्या सोचते है ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे और क्यो वापसी होनी चाहिये ब्लागवाणी की? हम15 अगस्त तक सभी के ईमेल की प्रतीक्षा कर रहे थे। हमारे पास एड्रेस बुक मे जितने भी ब्लागरों के इमेल उपलब्ध थे और हमे लगा कि इनसे सम्पर्क करना उचित होगा, उनमे से करीब 100 से ज्यादा सक्रिय ब्लागरो से व्यक्तिगत तौर पर उनके नाम का सम्बोधन करते हुये सम्पर्क किया ताकि वह अपनी राय दे सकें। हमारे द्वारा किसी प्रकार की बल्क ईमेलिंग नही की गई ताकि जिससे समझा जाये कि हम सिर्फ खाना पूर्ति कर रहे है। हमे हार्दिक खुशी है कि 100 से ज्यादा ब्लागरों से व्यक्तिगत सम्पर्क के बाद भी सिर्फ ढेड़ दर्जन से कुछ ज्यादा ब्लागर ही अपनी राय भेज सके और अत्यंत खेद भी है कि हिन्दी उत्थान के नाम पर चिट्ठाकारी करने वाले चिट्ठाकारो ने अपनी कोई जिम्मेदारी नही समझी। हम कोई गुट नही है हम आप से ही है अगर आपका सहयोग हमे मिलता तो हम पूरे उत्साह के साथ काम करने का बल मिलता किन्तु र्दुभाग्य की हमे गुट समझ कर हमे इग्नोर करने का प्रयास किया गया किन्तु इससे हम न कमजोर हुये है न होगे।
सर्वप्रथम जिन ब्लागरों के बल पर हिन्दी चिट्ठाकरी लेखक और पाठक के रूप टिकी हुई है जिन्होने अपने ईमेल से अपनी राय अवगत कराया है उनके नामो की घोषणा करते है और इनको कोटि कोटि धन्यवाद देते है। जिन्होने हमे पूर्ण सहयोग दिया - अविनाश वाचस्पति जी, अरविन्द मिश्र जी, संजीव वर्मा सलिल जी, दिवाकर मणि जी, जी.के. अवधियाजी, गिरीश बिल्लोरे जी, शेखर कुमावत जी, (डॉ.) कविता वाचक्नवी जी, रेखा श्रीवास्तव जी, मनोज जी,संगीता पुरी जी, सुमन मीत जी, वंदना गुप्ता जी, रंजना सिंह जी आदि ने अपने विचार हमे भेजे जिससे हमे बल मिला।
ब्लागवाणी की वापसी के लिये बनायी गई कमेटी के सदस्य अपने व्यक्तिगत कामो के बीच इस काम को कर रहे थे इसी मे प्रमेन्द्र प्रताप सिंह अपने अधिवक्ता पंजीयन की तैयारी मे थे और उन्होने 25 जुलाई को अपने को अधिवक्ता के रूप मे पंजीयन करवा लिया, तथा कमेटी के दूसरे सदस्य निशान्त त्रिपाठी ''नीशू'' अपने समाचार पत्र के मैनेजमेट के कार्यशैली के अजीज़ आकर अपने 5 सहयोगी के साथ 12/13 अगस्त को त्यागपत्र दे दिया, इस्तीफा देने वाले मे प्रमुख ब्लागर मिथलेश दूबे भी शामिल है। अन्याय की लडाई मे जूनियर ब्लागर एसोशिएशन इन दोनो ब्लागरो के साथ है, जूनियर ब्लागर एसोशिएशन का मूल मंत्र है ही कि न अन्याय करेगे न सहेगे चाहे वह चिट्ठकारी या पत्रकारिता ही क्यो न हो। इन दोनो कामो के कारण इस काम मे विलम्ब जरूर हो रहा है किन्तु हमारा काम रूका नही है। ब्लागवाणी परिवार के मुखिया से हमारी टेलिफोनिक बातें हुई और हमे आश्वासन भी मिला कि हम इस सम्बन्ध मे शीघ्र ही कोई निर्णय लेगे।
जूनियर ब्लागर एसोशिएशन की यह कमेन्टी दिनाँक 22 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की कोशिश करेगे,कारणो की भी बातो को रखा जायेगा तथा जिन ब्लागरों ने अपने विचार प्रस्तुत किये है उन्हे भी शामिल किया जाये।
शुक्रवार, 2 जुलाई 2010
ब्लागवाणी को लेकर बनी जॉच समिति, जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन 30 दिनों के अंदर वापस लाने को कटिबद्ध
जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की 30 जून को इलाहाबाद मे अति आवाश्यक बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें ब्लाग जगत कि हालिया घटनाओं पर सिलसिले वार ढंग से बातचीत की गई और कई प्रस्ताव पारित किये गये।
प्रथम प्रस्ताव में महाशक्ति ब्लाग के प्रमेन्द्र प्रताप सिंह को हिनदी चिट्ठकारी के 5 साल पूरा करने पर गले मिल कर बधाई दी गई।
द्वितीय प्रस्ताव में हिन्दी के पुराने और ख्याति प्राप्त चिट्ठकार श्री राम चन्द्र मिश्र को 4 जुलाई को होने वाले परिणय के उपलक्ष मे हार्दिक बधाई दी गई ।
इस बैठक का सबसे अहम और तृतीय प्रस्ताव ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे रखा गया। ब्लागवाणी के अचानक बंद सम्बन्ध मे चिंता व्यक्त की गई। ब्लागवाणी के बंद होने के कारणो का पता लगाने के लिये असीमित अधिकारों वाली जॉच समिति बनाई गई है और यह जाँच समिति पूर्ण अधिकार के साथ कार्य व हर किसी के साथ वार्ता करने का अधिकार होगा।
जॉच समिति के निष्कर्षो के आधार पर जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन ब्लागवाणी को 30 दिनों के अंदर वापस लाने को कटिबद्ध होगी। ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की ओर से व्यक्तिगत पोस्ट स्वयं अपने ब्लाग पर डालने का अधिकार प्रमेन्द्र प्रताप सिंह व नीशू नीशू तिवारी को ही होगा। ये अपने ब्लाग से ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे पोस्ट डालने के लिये अधिकृत होगे, इनके अतिरिक्त जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की ओर से किसी प्रकार की पोस्ट अमान्य मानी जायेगी। इस सम्बन्ध में भविष्य मे आवाश्यकता पड़ने पर व्यक्ति विस्तार किया जायेगा।
प्रथम प्रस्ताव में महाशक्ति ब्लाग के प्रमेन्द्र प्रताप सिंह को हिनदी चिट्ठकारी के 5 साल पूरा करने पर गले मिल कर बधाई दी गई।
द्वितीय प्रस्ताव में हिन्दी के पुराने और ख्याति प्राप्त चिट्ठकार श्री राम चन्द्र मिश्र को 4 जुलाई को होने वाले परिणय के उपलक्ष मे हार्दिक बधाई दी गई ।
इस बैठक का सबसे अहम और तृतीय प्रस्ताव ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे रखा गया। ब्लागवाणी के अचानक बंद सम्बन्ध मे चिंता व्यक्त की गई। ब्लागवाणी के बंद होने के कारणो का पता लगाने के लिये असीमित अधिकारों वाली जॉच समिति बनाई गई है और यह जाँच समिति पूर्ण अधिकार के साथ कार्य व हर किसी के साथ वार्ता करने का अधिकार होगा।
जॉच समिति के निष्कर्षो के आधार पर जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन ब्लागवाणी को 30 दिनों के अंदर वापस लाने को कटिबद्ध होगी। ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की ओर से व्यक्तिगत पोस्ट स्वयं अपने ब्लाग पर डालने का अधिकार प्रमेन्द्र प्रताप सिंह व नीशू नीशू तिवारी को ही होगा। ये अपने ब्लाग से ब्लागवाणी के सम्बन्ध मे पोस्ट डालने के लिये अधिकृत होगे, इनके अतिरिक्त जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की ओर से किसी प्रकार की पोस्ट अमान्य मानी जायेगी। इस सम्बन्ध में भविष्य मे आवाश्यकता पड़ने पर व्यक्ति विस्तार किया जायेगा।
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