जूनियर ब्लाँगर एसोसिएशन की इलाहाबाद मीट मे प्रथम पोस्ट मे जूनियर ब्लॉगर एसोसिएशन की आधिकारिक घोषणा- चिट्ठाकार करे ब्लागिंग आचार संहिता का पालन अन्यथा होगी कार्रवाई की बात कही गई थी। इसी श्रृंखला मे एक अन्य महत्वपूर्ण विषय गुटबंदी और मठाधीशी पर चर्चा हुई।
हिन्दी चिट्ठाकारी मे मठाधीशी, गुटबंदी और गुटबाजी जैसे शब्द प्रारम्भ से चलते चले आये है। इनके उपर कई बार व्यापक बहस और द्वंद तक हो चुका है। क्या वास्तव मे गुटबाजी या मठाधीशी हिन्दी चिट्ठाकारी के लिये हानिकारक है तो यह एक बड़ा प्रश्न होगा, और इस प्रश्न के उत्तर का दिलचस्प होना भी स्वाभाविक है। गुटबाजी या मठाधीशी हमेशा हानिकारक नही होती है जब तक कि उनका उद्देश्य बुरा न हो।
चिट्ठाकारी के भूत और वर्तमान समय मे हिन्दी ब्लागिंग मे कुछ ऐसे तत्व विद्यामान रहे है जिन्हे लगता है कि उनके बिना हिन्दी चिट्ठाकारी शून्य हो जायेगी और अपनी अहमियत को बनाने के लिये ऐसे गुट और मठ का निर्माण करते है और अपने कार्य रवैयों के द्वारा ब्लाग जगत का महोल अशान्त करते रहते है। जूनियर ब्लाँगर एसोसिएशन की इलाहाबाद सम्मेलन मे ऐसे मठो और मठाधीशों समूलनाश करने का फैसला लिया गया जिसने कारण हिन्दी चिट्ठकारी का सबसे अधिक नुकसान हुआ है। हिन्दी चिट्ठकारी की सबसे बड़ी हक़ीकत यही है कि प्रतिष्ठा की बेदी पर बने मठो मे नवोदित ब्लागरों बलि दी जाती है। बैठक मे इस बात पर जोर देकर कहा गया कि पुराने ब्लागरों को चाहिये कि नये ब्लागरों को प्रोत्साहित किया जाये, अगर नवोदित ब्लागर के किसी भी प्रकार की गलती होती है तो पुराने ब्लागरों द्वारा जितनी बार क्षम्य हो सके, क्षमा किया जाना चाहिये। क्योकि कोई उम्र मे कोई कितना भी बड़ा ब्लागर क्यो न हो पर हो सकता है कि उसे चिट्ठकारी के नियम व्यवहार की जानकारी न हो, तो भूल या गलती स्वाभविक है। अगर चिट्ठकारों द्वारा इस नये परम्परा का निर्वहन किया जायेगा तो निश्चित रूप से ब्लागिंग नये आयाम तक पहुँचेगी। वरिष्ठ ब्लागरों के द्वारा ब्लागिंग मे स्वस्थ्य परम्परा का निर्माण होगा, नवीन ब्लागरों द्वारा पुराने ब्लागरों के प्रति सम्मान मे भी वृद्धि होगी। चिट्ठकारी बड़ी हकीक़त है कि ब्लागरों की ब्लागिंग ब्लाग पोस्टो से ज्यादा चैट बॉक्सों तथा टेलीफोनो पर होती है, और इन्ही माध्यमों द्वारा षड़यंत्रों की व्यूह रचना की जाती है। इसी व्यूह रचना में विवादों को जम कर हवा दी जाती है पोस्टो पर पंसद के चटके और रेटिग बढ़ाने की अपीले की जाती है। हिन्दी चिट्ठकारों के द्वारा इस कृत्य औचित्य क्या है?
जूनियर ब्लागर एसोसिएशन में मुक्त स्वर से यह धोषणा कि गई कि -
- नवोदित ब्लागरों के खिलाफ़ यदि भविष्य मे किसी प्रकार(चाहे वह दोषी हो या न हो) की विरोध मुहीम चलाई गई तो जूनियर ब्लागर एसोसिएशन इसका विरोध करेगा।
- किसी भी प्रकार के मठ या मठाधीशों को जबरन बंद करवाया जायेगा यदि वह आतंकी गतिविधियों तथा षड़यंत्रो व्यूह रचना मे लिप्त पाये जाते है।
वर्तमान और भविष्य में कोई भी ब्लागर ऐसी गतिविधियों मे लिप्त पाये जाते है तो परिणाम भुगतने की स्वयं की जिम्मेदारी होगी, जूनियर ब्लागर एसोसिएशन ऐसे ब्लागरों से सख्ती से निपटेगा।
Bap re bap itni tagdi damki kahe de raho ho yar
जवाब देंहटाएंऐसा हो जाएगा!
जवाब देंहटाएंलगता तो नहीं
पर
हो भी सकता है
मगध के शासक नन्द द्वारा चाणक्य को अपमानित कर दरबार से निकाल देने पर चाणक्य ने शिखा खोलकर प्रतिज्ञा की कि वह नन्द को मगध की राजगद्दी से हटाकर नये राज्य की नींव जिस दिन रख लेगा तभी उसकी शिखा बन्धेगी। एक होनहार युवक चन्द्रगुप्त को भावी राजा मानकर चाणक्य ने कैसे-कैसे राजनीति के मोहरे चले कि नन्द का पतन हो ही गया। चन्द्रगुप्त मगध-सम्राट बना और चाणक्य बने उसके महामात्य।
जवाब देंहटाएंआज ठीक इसी प्रकार जूनियर ब्लाँगर एसोसिएशन ने इलाहाबाद सम्मेलन मे प्रण लिया है कि हम चिट्ठकारी के लिये घातक मठाधीशी की जड़ो को समाप्त कर करे ही रहेगे, इसके लिये मै हम कटिबद्ध है।
लेकिन ये तो पता चले कि ये मठाधीशी है क्या ? और ये मठ और मठाधीश है कहाँ ? और कौन है ?
जवाब देंहटाएंहम तो अभी तक विभिन्न ब्लोग्स पर ये शब्द पढ़ते ही आयें है पर आज तक किसी मठाधीश को पहचान नहीं पाए :(
Good morning !!! :)
जवाब देंहटाएं\वैसे शेखावत जी सही कह रहे हैं मठाधीशी किसे कहा जायेगा ये भी तय कर लें नही तो इसे कोरी धमकी कोई भी अपने लिये समझ लेगा। सुधार जरूर होने चाहिये सब कुछ अच्छा नही ब्लागजगत मे । जूनियर ब्लाँगर एसोसिएशन ब्लागजग्त को सेही दिशा मे ले जाने के लिये जो प्रयास कर रही है सराहनीय हैं शुभकामनायें आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएं"नवोदित ब्लागरों के खिलाफ़ यदि भविष्य मे किसी प्रकार(चाहे वह दोषी हो या न हो) की विरोध मुहीम चलाई गई तो जूनियर ब्लागर एसोसिएशन इसका विरोध करेगा"...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया :-)
सत्य बात यही है कि आज तक नवोदित ब्लागरों को ठीक से समझा ही नही गया, यही कारण है जब भी नवोदित ब्लागर मठाधीशी से प्रताडि़त हुये, या तो वह लड़ कर आज भी चिट्ठारी मे बरकरार है अथवा चिट्ठकारी से पलायन कर गये। नवोदित ब्लागरों यह समझाये जाने की आवाश्यकता होती है कि आप यहाँ गलत हो, यह जरूरी नही है कि नेस्तानाबून कर देने की धमकी दे कर चले आओ। मै तो शुरूवात से ही ऐसे नवोदित ब्लागरों के साथ था, किन्तु अब हम सब ऐसे लोगो के साथ होगे, ब्लागिंग के मर्म को समझायेगे न कि उन्हे किसी के द्वारा धमकाने देगे।
जवाब देंहटाएंजैसे शरुआत में आप सभी उन लोगों के ब्लॉग पर नापसंद लगाना शुरू करें जो आपके ब्लॉग पोस्ट को नापसंद कर रहे हैं ....
जवाब देंहटाएंआईये नापसंद नापसंद खेले -नाम तो आप सबको पता है -७ लोगों को मैंने चिन्हित कर रखा है ....कहिये तो सार्वजनिक कर दूं ?
अब जब ब्लोग्वानी भी इस खेल को मौन स्वीकृति दे ही रही है तो हम लोग भी इस खेल को आगे बढायें !
सहमत !!!!
जवाब देंहटाएंचाणक्य की तरह हमने भी यह संकल्प ले लिया है; और हाँ चाणक्य की एक निति और भी आप सभी को याद दिला दूं! अगर कोई न समझे तो................ साम दाम दंड भेद !!!!
सलीम ख़ान
अध्यक्ष व संचालक
जूनियर ब्लॉगर एसोशिएशन
(ब्लॉग निगरानी समिति)
हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंkya baat hai
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